कविता क्या है, एक निर्झरणी है। निर्झरणी है ये - हमारे भावों की, प्रभावों की भाव, जो बसे हमारे अंतर्मन में हैं छू लेते हैं जो जग का कण-कण समय का क्षण-क्षण। भावनाएँ जिनमें मस्त हिलोरें भरती हैं घटनाएँ जिन्हें जोर से झकझोर देती हैं । लो लेखिनी - पकड़ सको, पकड़ो इन्हें बाँध सको, बाँधो इन्हें पर हाय, मैं क्यें भूल गया कला को बाँधना भी है क्या संभव और कविता - कविता भी तो एक कला है ।।